वसई विरार शहर व मुंबई महानगर में किराएदारी बना उद्योग

वसई विरार शहर व मुंबई महानगर में किराएदारी बना उद्योग 


वसई विरार शहर व मुंबई महानगर में किरायेदारी एक उद्योग सा बन गया है। शहर में कई लोग बड़ी संख्या में रूम व फ्लैट खरीद कर किराए पर चढ़ा दे रहें हैं। जिनके की कमाई का यह एक जरिया सा बन गया है। मुंबई जैसे महानगर में कई ऐसे क्षेत्र है जहां पर मकान मालिक केवल किराये से ही प्रति माह लाखों रुपये कमा रहे हैं। कहीं कहीं ऐसा भी देखने मे आता है कि किराएदार मकान मालिक को कितना भी किराया दे दें। किंतु मकान मालिक की नज़र में उसकी स्थिति एक दीनहीन और लाचार व्यक्ति की तरह ही होती है। मुंह मांगा किराया देने के बावजूद भी किरायेदारों को मकान मालिक का अत्यचार सहन करना पड़ता है। वे बेवजह किराएदारों को सताते रहते हैं। जब मन मे आया तब किराया बढ़ा दिया जाता है और जब सुविधा की बात आती है तो मकान मालिक उसे नजर अंदाज करते हैं। इसी प्रकार के तमाम परेशानियों को देखते हुए सरकार ने मॉडल किरायेदारी अधिनियम के मसौदे को मंजूरी दे दी है। नए कानून में राज्य सरकारों को नए नियम लागू करने की अनुमति भी दी गई है।

किरायेदारों के अधिकार : 

नए कानून के मुताबिक, किरायेदारों को सिक्योरिटी मनी दो महीने के किराये से ज्यादा नहीं हो सकती। किराया बढ़ाने के लिए कम से कम तीन महीने पहले मकान मालिक को किरायेदार को नोटिस देना होगा। यदि दोनों पक्षों में आपसी संबंधों के आधार पर सहमति हो जाती है तो हो सकता है किराया न भी बढ़े। इसके अलावा मकान मालिक को मकान का मुआयना करने आने से पूर्व 24 घंटे का नोटिस देना अनिवार्य है। किराए का तीन गुना सिक्योरिटी डिपॉजिट लेना तब तक गैर-कानूनी होगा, जब तक इसका अग्रीमेंट न बनवाया गया हो। किरायेदार के मकान छोड़ने के एक महीने के अंदर मकान मालिक को सिक्योरिटी मनी वापस देनी होगी। अगर कोई विवाद होता है तो मकान मालिक किरायेदार की बिजली, पानी जैसी सुविधाओं को काट नही सकता।  

रेनोवेशन के बाद किराया बढ़ाना: 

कानून में कहा गया है कि बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किरायेदार और मकानमालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे। अगर मकानमालिक ढांचे में कुछ सुधार कराता है तो उसे रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की इजाजत होगी।  हालांकि इसके लिए किरायेदार की सलाह भी लेनी आवश्यक है। रेंट अग्रीमेंट लागू होने के पश्चात यदि बिल्डिंग का ढांचा खराब हो रहा है और मकानमालिक रेनोवेट कराने की स्थिति में नहीं है तो किरायेदार किराया कम करने के लिए कह सकता है।

किराएदार की मौत होने पर : 

रेंट एग्रीमेंट के दौरान अगर किरायेदार की मौत हो जाती है तो रेंट एग्रीमेंट उसकी मौत के साथ ही खत्म हो जाएगा। अगर मृतक का परिवार भी है तो किरायेदार के अधिकार उसके परिवार के पास चले जाएंगे।

मकान मालिक के लिए प्रावधान : 

नए कानून के मुताबिक, अगर समय पर किरायेदार ने मकान खाली नहीं किया तो किराया पहले दोगुना और फिर चार गुना किया जा सकता है। किराये के मकान का रखरखाव किरायेदार को ही कराना होगा। रख-रखाव न करने पर मकान मालिक रख-रखाव का काम करेगा और किरायेदार का जो पैसा सिक्योरिटी डिपॉजिट में जमा है, उसमें से पैसा काट सकता है। किरायेदार अगर प्रॉपर्टी के रख-रखाव पर खर्चा करता है तो जो पैसा वो किराये के तौर पर दे रहा है, वह उसमें से काट सकता है। साथ ही अगर प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचता है तो मकान मालिक को बताना होगा। ऐसा नहीं है कि किरायेदार बिना बताए चला जाए। 

कहां होगी सुनवाई : 

नए कानून के मुताबिक केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा गया है कि वह किराया विवाद निपटाने वाली अदालतों, प्राधिकरण या अधिकरण का गठन करें जो कि  मकानमालिक और किरायेदारों के विवादों का निपटारा करे। 


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