पट्टी गोलीकांड : जननायक या खलनायक.?? सुशील सिंह पर आरोपों ने मचाई सियासी हलचल

पट्टी गोलीकांड : जननायक या खलनायक.?? सुशील सिंह पर आरोपों ने मचाई सियासी हलचल

प्रतापगढ़ (पट्टी) : बड़का जिला प्रतापगढ़ की चर्चित तहसील पट्टी एक बार फिर सुर्खियों में है। बाबा बेलखरनाथ ब्लॉक प्रमुख एवं भाजपा नेता सुशील सिंह से जुड़ा गोलीकांड अब नया मोड़ लेता दिख रहा है।पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में मामला पंजीकृत कर दिया था, लेकिन इसी बीच घटनाक्रम में एक और बड़ा ट्विस्ट आ गया है। सूत्रों के अनुसार, एक शादी हॉल के बाहर बनी नाली से नशीले पदार्थों की बरामदगी हुई और ब्लॉक प्रमुख को ड्रग माफिया करार देते हुए नया मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया। मामला अब अदालत में विचाराधीन है, मगर इसने जनता की अदालत में पुलिस की कार्यशैली, सुशील सिंह के राजनीतिक रसूख, और चरित्र पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

गोली आत्मरक्षा में चली या हमला था...??

जनप्रतिनिधि होने के नाते मामले में पहुंचे सुशील सिंह की तरफ से ये दावा किया गया है कि उन्होंने लाइसेंसी पिस्टल से आत्मरक्षा में गोली चलाई, जिससे विपक्षी पक्ष के एक व्यक्ति की टांग व जांघ में गोली लगी। उनका ये भी कहना है कि सामने से भी फायरिंग हुई थी। अब जांच का विषय यह है कि – क्या आत्मरक्षा में गोली चलाना जायज़ था..?? इस बीच ब्लॉक प्रमुख की पत्नी, बेटी और मां के वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें उन्होंने साफ तौर पर "फँसाने की साज़िश" का आरोप लगाया है। वहीं कई ग्रामीणों ने भी नशीले पदार्थ की बरामदगी पर सवाल उठाते हुए कहा – “अगर ब्लॉक प्रमुख इसमें शामिल होते तो असली सप्लाई चेन क्यों नहीं पकड़ी गई और यह इतने दिनों से फल फूल कैसे रहा है..?? पूरे जिले में कौन से दुकान पर एम डी..?? गांव वालों ने इस बात को बेबुनियाद बताया कि हर रजिस्ट्री में उनको पैसा पहुंचाया जाता था, उन्होंने कहा जिनके पास साक्ष्य है वो न्यायालय जाए "

जननायक से खलनायक तक का सफर?

कुछ ही महीने पहले तक सुशील सिंह को जननायक कहा जा रहा था। तिरंगा यात्रा, सैनिकों का सम्मान, सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रियता और युवाओं को जोड़ने के प्रयास उनकी पहचान थे। लेकिन आज वही नेता खलनायक की छवि में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कहा जा रहा है कि यह विवाद ठाकुर बनाम पंडित राजनीति से लेकर स्थानीय वर्चस्व की जंग तक खींचा जा रहा है। जहां सोशल मीडिया पर युवाओं ने जुबानी जंग छेड़ रखी है वहीं एक दूसरे पर अभद्र टीका टिप्पणी करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।

पट्टी तहसील की सियासी पटकथा

स्थानीय चर्चाओं में यह बात जोर पकड़ रही है कि पट्टी तहसील में जो भी नेता तेजी से लोकप्रिय होता है, उसके राजनीतिक पतन की पटकथा लिख दी जाती है। सुशील सिंह भी इसी पटकथा का हिस्सा बन गए हैं। पुश्तैनी समृद्ध परिवार, मुंबई का व्यापार, ईंट-भट्टा और इंटरलॉकिंग ईंट कारोबार ने उन्हें आर्थिक व सामाजिक रूप से मज़बूत बनाया था। मगर अब वही ताक़त राजनीतिक दुश्मनों के निशाने पर है।

चाय की दुकानों से लेकर चौपालों तक गर्म चर्चा

फिलहाल पुलिस और न्यायालय की कार्रवाई से परे, असली चर्चा जनता के बीच हो रही है। चौपालों, चाय की दुकानों और गलियारों में एक ही सवाल गूंज रहा है – 👉 क्या सुशील सिंह वाकई दोषी हैं, या राजनीति में बढ़ते कद को रोकने की एक साज़िश का शिकार..?? सच क्या है, यह तो समय और न्यायालय ही तय करेगा। लेकिन इतना तय है कि पट्टी तहसील का यह मामला आने वाले दिनों में सियासत और समाज दोनों को झकझोर कर रखेगा।

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