नालासोपारा के 41 अनधिकृत इमारतों के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी
नालासोपारा के 41 अनधिकृत इमारतों के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी
नालासोपारा : नालासोपारा में 41 अनधिकृत इमारतों को ध्वस्त करने के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय ने पूरे घोटाले की जांच शुरू कर दी है। सोमवार को जमीन मालिक से सात घंटे तक पूछताछ की गई। इस घोटाले में करोड़ों रुपये के लेनदेन शामिल हैं और यह पता लगाने के लिए भी जांच चल रही है कि इसमें कौन-कौन अधिकारी शामिल हैं।नालासोपारा पूर्व के अग्रवाल नगरी में भू-माफियाओं ने सरकारी और निजी भवनों पर अतिक्रमण कर 41 अनधिकृत इमारतें बना ली थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी इमारतों को अनधिकृत घोषित कर दिया था और उनके खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था। हाल ही में वसई विरार शहर मनपा ने इन सभी 41 इमारतों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई से 2,500 परिवार बेघर हो गये हैं। उनके पुनर्वास का मुद्दा चालू बजट सत्र में उठाया गया। सरकार ने इस उद्देश्य के लिए नीति तैयार करने हेतु एक समिति के गठन की घोषणा की थी। इस मामले में सदस्यों ने भूस्वामी से पुनर्वास लागत वसूलने की मांग की थी। इसलिए अब प्रवर्तन निदेशालय ने इस घोटाले की जांच शुरू कर दी है। भू-माफियाओं ने यहां करीब 30 एकड़ निजी और सरकारी जमीन पर कब्जा कर 41 इमारतें बना ली थीं। भू-माफियाओं द्वारा जमीन बिल्डरों को बेचने के बाद इस भूखंड पर 41 इमारतें बना दी गई। कुछ इमारतों में 50 से 70 फ्लैट थे। इन्हें 5 से 6 लाख रुपये में बेचा गया। इसमें करोड़ों रुपए का लेन-देन हुआ है। इसलिए अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूरे घोटाले की अपनी जांच शुरू कर दी है। उस बैंक खाते के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है जिसमें वित्तीय लेनदेन हुआ था। मनपा अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि उन पर इन अनधिकृत इमारतों को संरक्षण देने का आरोप है। इसकी जांच की जा रही है। इसलिए मनपा अधिकारियों को जल्द ही ईडी जांच का सामना करना पड़ेगा।सोमवार को मुंबई स्थित ईडी कार्यालय में जमीन मालिक अजय शर्मा से सात घंटे तक पूछताछ की गई। शर्मा ने कहा कि ईडी अधिकारियों ने पूरी घटना और हुए लेन-देन को संज्ञान में लिया है। इस मामले में 2022 में 12 इमारतों के खिलाफ और बाद में 25 इमारतों के खिलाफ कुल 37 इमारतों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि चारों इमारतों के निर्माणकर्ताओं के खिलाफ अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। नालासोपारा के पूर्व में अग्रवाल नगरी में 30 एकड़ का एक बड़ा भूखंड था, जिसका सर्वे नंबर 22 से 30 था। कुछ भूखंड निजी थे और कुछ डम्पिंग ग्राउंड और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के लिए आरक्षित थे। वर्ष 2006 में इस भूमि पर पूर्व पार्षद सीताराम गुप्ता और उनके भतीजे अरुण गुप्ता ने कब्जा कर लिया था और फर्जी निर्माण परमिट (सीसी) और अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) तथा अन्य दस्तावेजों की मदद से इस भूमि पर अनाधिकृत इमारतें बना ली गई थीं। 2010 से 2012 के बीच यहां 41 अनधिकृत इमारतें बनाई गईं। भूमि मालिक अजय शर्मा द्वारा इसके खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने के बाद कोर्ट ने कार्रवाई का आदेश दिया।
Comments
Post a Comment