चुनाव आयोग को सत्ता पक्ष के दबाव में न आते हुए निष्पक्ष चुनाव कराना चाहिए - महाविकास आघाड़ी

चुनाव आयोग को सत्ता पक्ष के दबाव में न आते हुए निष्पक्ष चुनाव कराना चाहिए - महाविकास आघाड़ी 

महाविकास आघाड़ी ने सरकार पर लगाया सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग करने का आरोप

मुंबई : महाविकास आघाड़ी ने शुक्रवार को राज्य सरकार पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। एमवीए के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी एस.चोकलिंगम से मिलकर सूबे में स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है।महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने मुंबई में संयुक्त पत्रकार वार्ता आयोजित कर कहा कि चुनाव आयोग को सत्ता पक्ष के दबाव में नहीं आना चाहिए और निष्पक्ष चुनाव करवाना चाहिए। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया है कि ऑनलाइन फॉर्म 7 के माध्यम से सरकार के इशारे पर महाविकास आघाड़ी के मतदाताओं के नाम बड़ी संख्या में मतदाता सूची से गायब किए जा रहे हैं। सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के नाम पर प्रदेश में 50 हजार रुपये के मेहनताने पर 50 हजार योजना दूत नियुक्त किये गये हैं और ये सब सरकार की ओर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा कि 85 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को घर बैठे वोट देने की इजाजत देने का फैसला सही है लेकिन इसमें पारदर्शिता होनी चाहिए। मतदान तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि इस मतदान के समय सभी दलों के पास बीएलए न हो। मतदान के अधिकार का प्रयोग जागरूकता के साथ करना चाहिए, किसी के दबाव में आकर मतदान नहीं करना चाहिए। मुंबई में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 4500 वरिष्ठ मतदाता हैं, जबकि अन्य शहरों में यह संख्या 6 हजार से अधिक है। इसलिए यह मतदान निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से कराया जाए। राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि फॉर्म नंबर 7 को ऑनलाइन भरने का तरीका गलत है। इसके जरिए हर विधानसभा क्षेत्र से 5000 वोटों की हेराफेरी की जा रही है। जो मतदाता जीवित हैं, उन्हें मृत दिखाया जा रहा है। जिस तरह से चुनाव कराया जा रहा है वह मौलिक रूप से संदिग्ध है। एक ही घर के पांच लोगों के नाम अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दर्शाए गए हैं। मतदाता सूची की छपाई बहुत खराब है, जिसमें कई त्रुटियां हैं।आव्हाड ने कहा कि एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया का नारा बुलंद कर रही है, दूसरी ओर एक साधारण मतदाता सूची भी साफ-सुथरे ढंग से नहीं छापी जा सकती।

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