कांग्रेस से उत्तर भारतीयों की बढ़ी उम्मीदें
कांग्रेस से उत्तर भारतीयों की बढ़ी उम्मीदें
मुंबई (लाल शेखर सिंह) : उत्तर भारतीयों का मुंबई की अर्थव्यवस्था और विकास में योगदान महत्वपूर्ण है। मुंबई में उत्तर भारतीयों की जनसंख्या करीब 40 लाख है जिसमें 28 लाख वोटर हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ एक उत्तर भारतीय विद्या ठाकुर को फिर से उम्मीदवार बनाया है, इससे यह साबित होता है कि बीजेपी उत्तर भारतीयों को सिर्फ वोट बैंक समझती है। एक दौर था जब मुंबई की राजनीति में उत्तर भारतीय नेताओं की तूती बोलती थी। कांग्रेस के समय उत्तर भारतीय नेताओं की जो धमक बनी थी वह बीजेपी के साथ जुड़ते ही लगभग खत्म सी हो गई। कांग्रेस के दौर में रामस्वरूप सिंह 1957 से 1967 तक पहले नगरसेवक थे। उसके बाद 1968 में रमेश दुबे कांग्रेस पार्टी से मनपा का चुनाव लड़े और जीत गए। रमेश दुबे 16 वर्षों तक नगरसेवक रहे। रामनाथ पांडेय 1973 में अंधेरी से पहले उत्तर भारतीय विधायक निर्वाचित हुए और मंत्री भी बने। चंद्रकांत त्रिपाठी 1980 में विधायक निर्वाचित हुए और मंत्री बने। रमेश दुबे 1985 में विधायक बनने के बाद लगातार दो बार प्रतिनिधित्व किया और सरकार में मंत्री भी बने। डॉ. राममनोहर त्रिपाठी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बनकर उत्तर भारतीय समाज के लिए खूब काम किये। महाविकास आघाड़ी में सीटों के बंटवारा अंतिम चरण में है। उत्तर भारतीय समाज को कांग्रेस पार्टी से इस बार काफी उम्मीदें हैं। जिस तरह से सीटों का बटवारा महाविकास अघाड़ी में हो रहा है उसके हिसाब से कांग्रेस पार्टी वर्सोवा में किसी उत्तर भारतीय को मौक़ा देगी ऐसा लग रहा है जिसमें मुंबई कांग्रेस के युवा नेता महासचिव एड.अवनीश तीर्थराज सिंह की सबसे मज़बूत दावेदारी है। फिलहाल यह वक्त ही बताएगा कि इस बार कांग्रेस किसी उत्तर भारतीय को उम्मीदवार बनाएगी या कभी कांग्रेस के साथ खड़े रहने वाला उत्तर भारतीय समाज फिर उपेक्षित कर दिया जाएगा।
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