अगर हम आत्मविश्वास से भरे हों, तो निश्चित रूप से जीवन के प्रति एक अच्छा नजरिया विकसित होगा...

अगर हम आत्मविश्वास से भरे हों, तो निश्चित रूप से जीवन के प्रति एक अच्छा नजरिया विकसित होगा... 

लालप्रताप सिंह ( कार्यकारी संपादक )

 जीवन में आशा और निराशा के क्षण भी रात- दिन की तरह आते- जाते रहते हैं। आशा जहां हमारे जीवन में शक्ति और उत्साह का संचार करती है, वहीं निराशा हमें मृत्यु की ओर धकेलती है। निराश व्यक्ति जीवन में उदाशीन और विरक्त होने लगता है। उसे अपने चारों ओर अंधेरे के अलावा कुछ नज़र नहीं आता। लेकिन ऐसा भी देखने को मिलता है, जब मौत के मुंह में जाता व्यक्ति भी आशावादी विचारों के कारण जी उठता है और उसे नया जीवन दिखने लगता है। दरअसल, निराशा हमारे विचारों और दृष्टिकोण का ही परिणाम है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि एक बार निराशा में डूब जाने के बाद हम उसके दुश्चक्र से बाहर नहीं आ सकते। हम चाहें तो सोच बदल कर अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं। आशा- निराशा का चक्र तो हमारे जीवन के साथ चलता ही रहता है। इसलिए निराशा के दौर में भी उम्मीदें कभी नहीं टूटनी चाहिए। सपनों को कभी नहीं मरने देना चाहिए। मैं हमेशा से यही कहता हूँ कि आने वाले कल की चिंता छोड़ कर आज यानी वर्तमान में जीने का अभ्यास करें। जब तक हम अपने बीत चुके वक्त की भूलों, गलतियों के बारे में ही सोचते रहेंगे या कुछ अपेक्षित हासिल नहीं हो पाने के गम में डूबे रहेंगे, तब तक निराशा के भंवर से बाहर नहीं निकल सकते। आगे बढ़ने का सबसे बड़ा और पहला कदम तो यही है कि हम वर्तमान को संजोएं और उसी का आनंद लें।इसी तरह भविष्य की चिंता करना भी अपनी मानसिक ऊर्जा नष्ट करना ही है। भविष्य में क्या होगा, यह एक निरर्थक चिंता है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि भविष्य के बारे में सोचना ही बंद कर दें। भविष्य की योजना और चिंता, दोनों अलग- अलग चीजें हैं। चिंता न करें, सकारात्मक योजना से बढ़ें। याद रखें, हमारा वर्तमान ही हमारे भविष्य का आधार है। इसलिए निराशा से मुक्ति का पहला मंत्र यही है कि हम वर्तमान में जिएं। अक्सर हम उन चीजों और स्थितियों के बारे में सोचते रहते हैं, जो हमारे वश में नहीं होती। हमें लगता है कि हम हालात को बदल सकते हैं। लेकिन जब ऐसा हो नहीं पाता और हम अपने को असहाय पाते हैं, तो निराशा का भाव जीवन में तेजी से घर करने लगता है। ऐसे में बेहतर रास्ता यही है कि हम उन चीजों को स्वीकार करना सीखें, जिन्हें बदल नहीं सकते। परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाना ही सबसे उचित रास्ता होता है, जो हमें आगे की राह भी दिखाता है। जब भी जीवन में ऐसे मौके आएं, तो उन्हें हार के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि परिस्थितियों के अनुसार चलकर हम फिर से नए जीवन की शुरुआत कर सकते हैं। जीवन में समय का सबसे ज्यादा महत्व होता है। जिसने वक्त की कीमत पहचान ली, समझ लीजिए उसने बहुत कुछ हासिल कर लिया। दुनिया में अधिसंख्य लोग सिर्फ इसलिए सफल नहीं हो पाते, क्योंकि वे वक्त की कद्र नहीं करते।  "अगर हम आत्मविश्वास से भरे हों, तो निश्चित रूप से जीवन के प्रति एक अच्छा नजरिया विकसित होगा। जिनके मन में दूसरों का भला करने का भाव होता है, उन्हें प्रतिफल में खुशी ही मिलती है। इसलिए हम जरुरतमंदों की मदद करके निराशा से पीछा छुड़ा सकते हैं। परमार्थ का भाव रखने वालों के मन में कभी निराशा का भाव नहीं आता। यह बात उतनी ही सच है जितनी यह कि सूर्य अपनी यात्रा से कभी नहीं थकता।"


                    

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