अंधेरी से लापता हुए चारों नाबालिग बच्चों को ढूंढ निकालने में पुलिस को मिली सफलता
अंधेरी से लापता हुए चारों नाबालिग बच्चों को ढूंढ निकालने में पुलिस को मिली सफलता
मुंबई : एमआईडीसी पुलिस ने अंधेरी इलाके से 26 मई से लापता हुए चारों नाबालिग बच्चों जिसमें एक लड़का और तीन लड़कियां शामिल है को, सुरक्षित मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बरामद करने में सफलता पाई है।सहायक पुलिस निरीक्षक यश पालवे ने बताया कि,ग्वालियर रेलवे स्टेशन और शहर के 70 से 80 सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद, ग्वालियर की महिला कॉन्स्टेबल लक्ष्मी शर्मा, सृष्टि बुंदेला की मदद से यह सफलता मिली है। पुलिस के अनुसार,बच्चों के मामा ने मिसिंग कंप्लेन दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर पुलिस ने बच्चों को ढूंढ निकाला है। इनकी तलाश के लिए सहायक पुलिस निरीक्षक यश पालवे,सब इंस्पेक्टर प्रदीप अहिरे,कॉन्स्टेबल प्रदीप चव्हाण, सूरज जगताप की टीमें लगाई गई थी। पुलिस ने उस दावे को भी बेबुनियाद बताया जिसमें सौतेली मां पर बच्चों को बेचने और ट्रेन में छोड़कर भागने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि वो महिला कुछ हद तक मंदबुद्धि है। एमआईडीसी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सतीश गायकवाड़ ने, लापता बच्चों की सबसे बड़ी बहन (जो 18 वर्ष की है) ने ही घर से भागने का प्लान बनाया था। क्योंकि उसके पिता ने दूसरी शादी की थी और रात के समय फ़ोन पर बात करने से उसे मना करता था। इसके लिए पिता के प्रति उसके दिल में बहुत गुस्सा था। उसने एक प्लानिंग के तहत अपने तीनों भाई बहनों और सौतेली मां को दिल्ली जाने के लिए मना लिया था। घर से दादी को यह कहकर निकले थे की भंगार बेचने जा रहे है, लेकिन उन थैलों में सबके कपड़े थे। वे सभी दिल्ली जाने की बजाए ग्वालियर उतर गए थे। पुलिस निरीक्षक (क्राइम) तुकाराम कोयंडे के अनुसार,लड़की ने अपना मोबाइल फ़ोन फॉर्मेट करके घर पर ही छोड़ दिया था। ताकि कोई उन तक नहीं पहुंच सकें, लेकिन भागने से पहले उसने अपनी कई सहेलियों से यह बात कही थी। लड़की ने पहले अपनी मां को धोखे से खंडवा ट्रेन से नीचे उतार दिया था। फिर ट्रेन में एक व्यक्ति से अपनी एक सहेली को फ़ोन किया था। उसी व्यक्ति की मदद से वो अपने भाई बहनों को लेकर ग्वालियर के माधव बाल निकेतन आश्रम पहुंची और पत्र देकर वहां रहने के लिए अपील की थी। पुलिस ने उस सहेली के फोन पर आने वाले अज्ञात नंबर को ट्रेस कर वहां से बच्चों को सुरक्षित बरामद किया है।
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