जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान का हस्तक्षेप बंद करने के साथ आतंकवाद पर भी पूरी तरह काबू पाना होगा...

जम्मू-कश्मीर और विशेष रूप से घाटी का वातावरण बदल रहा है...

जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान का हस्तक्षेप बंद करने के साथ आतंकवाद पर भी पूरी तरह काबू पाना होगा...

लालप्रताप सिंह  (कार्यकारी संपादक)

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार श्रीनगर पहुंचे प्रधानमंत्री ने जिस नए जम्मू-कश्मीर का उल्लेख किया, उसकी एक झलक उनकी इस रैली में भी दिखाई दी। उसमें अच्छी-खासी संख्या में भीड़ जुटी और उसकी सुरक्षा के लिए बहुत अधिक कठोर प्रबंध भी नहीं दिखे। इससे यही रेखांकित हुआ कि जम्मू-कश्मीर और विशेष रूप से घाटी का वातावरण बदल रहा है। कश्मीर का माहौल बदलने के संकेत पहले भी मिलते रहे हैं। बीते वर्ष कश्मीर में रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक पहुंचे। वहां पत्थरबाजी की घटनाएं न के बराबर देखने को मिल रही हैं और जन कल्याण एवं विकास योजनाओं के रफ्तार पकड़ने के साथ ही निवेश भी बढ़ रहा है। इसके अलावा सिनेमाघर खुलने के साथ उद्योग-धंधे फल-फूल रहे हैं। इसी तरह सांस्कृतिक और खेल गतिविधियां भी सुगमता के साथ हो रही हैं। यह सब हो पा रहा है तो इसीलिए कि वहां आतंकी घटनाओं में कमी आई है और अलगाववादियों के हौसले पस्त हुए हैं। श्रीनगर पहुंचे प्रधानमंत्री ने 64 सौ करोड़ रुपये की परियोजनाओं का अनावरण किया। इसके कुछ दिनों पहले उन्होंने जम्मू में भी सैकड़ों करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने श्रीनगर की अपनी रैली में एक ओर जहां अनुच्छेद 370 के नाम पर लोगों को गुमराह किए जाने की याद दिलाई, वहीं दूसरी ओर इसका भी उल्लेख किया कि इस अनुच्छेद का कैसे चंद राजनीतिक परिवारों ने अपने हित में इस्तेमाल किया। यह एक सच्चाई भी है और इसीलिए इन परिवारों के नेताओं ने कश्मीर में स्थितियां सुधरने के प्रधानमंत्री के दावे का खंडन किया। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है, इसलिए विपक्षी दलों के पास कहने को ज्यादा कुछ नहीं है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कश्मीर में कानून एवं व्यवस्था में सुधार आने की बात पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी स्वीकार कर चुके हैं। वास्तव में इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि कश्मीर की स्थितियां बदल रही हैं, लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता कि वहां सब कुछ सामान्य हो गया है और अब जम्मू-कश्मीर के हालात देश के अन्य राज्यों जैसे हो गए हैं। इस राज्य और खासकर कश्मीर में सब कुछ सामान्य होने में समय लगेगा, इसका संकेत इससे भी मिला कि प्रधानमंत्री ने विकास और बदलाव की बातें तो कीं, लेकिन जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करने की चर्चा नहीं की। यह तय है कि यह काम वहां विधानसभा चुनाव कराने के बाद ही संभव हो सकेगा। इसके पहले वहां के हालात और सुधारने, पाकिस्तान का हस्तक्षेप बंद करने के साथ आतंकवाद पर पूरी तरह काबू पाना होगा। इसके साथ ही कश्मीरी हिंदुओं की वापसी भी सुनिश्चित करनी होगी। यह सब तभी हो सकेगा, जब कश्मीर की जनता यह संदेश और सही तरह ग्रहण करेगी कि उसका हित देश के साथ कदम मिलाकर चलने में है।

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