वन अधिकारी भूमाफियाओं / अवैध निर्माणकर्ताओं से निभा रहे है यारी,अपने कर्तव्य परायण से कर रहे हैं गद्दारी.....

वसई तालुका में वन विभाग के भूखंड को बेचा जा रहा है कौड़ियों के भाव,जिम्मेदार वन अधिकारियों को नही है वन्य प्राणियों व पर्यावरण की चिंता

वन अधिकारी भूमाफियाओं / अवैध निर्माणकर्ताओं से निभा रहे है यारी,अपने कर्तव्य परायण से कर रहे हैं गद्दारी.....

वनपाल यतीश तरे की कार्यप्रणाली संदेहास्पद..,आधी अधूरी कार्यवाई कर दबे पांव हुए वापस...आखिर क्यों..??

वसई विरार : वसई विरार शहर में इन दिनों वन विभाग के भूखंडों पर कब्जा कर जमकर बिंदास अतिक्रमण किया जा रहा है.जिसका मुख्य कारण वन विभाग के अधिकारियों का लचर रवैया है। क्षेत्र के वनपाल और वन परिक्षेत्र अधिकारी तमाम शिकायतों को नजर अंदाज करते हुए दिखाई देते हैं। जिसमे वनपाल यतीश तरे का नाम मुख्य रूप से आता है। सूत्रों की माने तो वनपाल यतीश तरे द्वारा शिकायतकर्ताओं से दुर्व्यवहार किया जाता है। जिसका की अभी हाल ही में एक ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था,जिसमे इनके द्वारा रात को तकरीबन 8.00 - 8.30 बजे के दरम्यान शिकायतकर्ता को साइड विजिट के लिए बुलाया जा रहा था। रात को इनका बुलाना काफी रहस्यमयी था। क्या इन्हें दिन में समय नही मिला..?? अथवा रात को शिकायतकर्ता को बुलाकर इनके द्वारा किसी अप्रिय घटना को अंजाम देना था..?? फिलहाल यह तो यही बता सकते हैं..!! बता दें कि पिछले दो दिन की छुट्टी के दरम्यान नालासोपारा पूर्व बिलालपाड़ा स्थित सर्वे नं.१२६ वन विभाग के भूखंड पर कानून कायदों व नियमों की अनदेखी करते हुए भ्र्ष्टाचार के बलबूते चार अनधिकृत गालें का नवनिर्माण कर लिया गया था, जिसकी शिकायत वनपाल व वन विभाग के उच्च अधिकारियों को की गई थी जिसके फलस्वरूप वनपाल यतीश तरे दल बल के साथ उक्त स्थल पर पहुंचे और 6 घंटे के लंबे अंतराल में मात्र दो अनधिकृत गालें को जमीदोंज कर सके। बाकी के दो गालें को भ्र्ष्टाचार के बलबूते अभयदान देकर वापस हो गए..?? जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है. लोगों का कहना है कि इनके इसप्रकार के कार्यशैली को देखते हुए इन्हें किसी भ्र्ष्टाचार युक्त पुरुस्कार से पुरस्कृत किया जाना चाहिए। इसके अलावा वसई विरार शहर के मांडवी परिक्षेत्र अंतर्गत सर्वे नं.९४, सर्वे नं.२५८, सर्वे नं.२८ में भी वन विभाग के भूखंड पर कब्जा कर भूमाफियाओं अथवा असामाजिक तत्वों द्वारा कानून कायदों नियमों की परवाह किए बिना जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से बेख़ौफ़ होकर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण को अंजाम दिया जा रहा है, जिसपर अंकुश लगाने में वन विभाग के अधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं। यदि क्षेत्र में जिम्मेदार अधिकारी इसी प्रकार से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे तो वह दिन दूर नही होगा जब क्षेत्र में बचे खुचे वन क्षेत्र कांक्रिट के जंगल में तब्दील हो जाएंगे..?? फिलहाल यथा स्थिति देखते हुए यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि क्षेत्र में वन रक्षक ही वन भक्षक बन गए हैं जो कि अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु वन की रक्षा करने के बजाय वन्य प्राणियों व पर्यावरण के काल बने हुए है..??

Comments

Popular posts from this blog

नायगांव क्षेत्र में दो गुटों में जमीनी विवाद को लेकर हुई गोलीबारी, कई लोग घायल

वसई-विरार में लगभग 35 साल से एक क्षत्र शासित बहुजन विकास आघाड़ी का किला हुआ ध्वस्त

फर्जी डॉक्टर पर मामला दर्ज, मिलाप यूनानी आयुर्वेदिक केंद्र के नाम से चलाया जा रहा था क्लिनिक