लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल तो बज गया किंतु पालघर लोकसभा सीट को लेकर अब भी संशय है बरकरार..

लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल तो बज गया किंतु पालघर लोकसभा सीट को लेकर अब भी संशय है बरकरार...

पालघर ( लालप्रताप सिंह ) : लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपने 20 उम्मीदवारों की सूची तो घोषित कर दी है, लेकिन जिन सीटों पर महागठबंधन में दरार है, उन पर फैसला अभी बाकी है. ठाणे और पालघर जिलों की चार लोकसभा सीटों में से तीन पर वर्तमान में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना का कब्जा है।हालांकि,ठाणे में प्रतिष्ठा की सीट को लेकर शिवसेना-भाजपा के बीच खींचतान जारी है इसी बीच पालघर लोकसभा सीट भी किसे मिलेगी, इसे लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि शिवसेना के निवर्तमान सांसद राजेंद्र गावित इस निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा उम्मीदवारी पर जोर दे रहे हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यहां शिवसेना-भाजपा उम्मीदवारों की अदला-बदली होगी या गावित फिर से धनुष बाण चुनाव चिह्न पर ही चुनाव लड़ेंगे..??निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्गठन के बाद, पालघर लोकसभा सीट पर 2009 से 2018 के उपचुनाव तक भाजपा ने चुनाव लड़ा। हालांकि 2014 और 2018 में हुए उपचुनावों में बीजेपी को जीत मिली, लेकिन 2019 के चुनाव में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के सीट आवंटन के दौरान यह सीट शिवसेना के पास चली गई. उस समय उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले राजेंद्र गावित को शिवसेना ने बीजेपी से आयात किया था. पालघर सीट बीजेपी को दिलाने के लिए पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं.  इस पार्टी का कहना है कि शिवसेना में फूट के बाद पालघर में बीजेपी की ताकत ज्यादा है. साथ ही बदले राजनीतिक गणित में पार्टी की ओर से यह गणित पेश किया जा रहा है कि पालघर सीट बीजेपी को मिलनी चाहिए.भाजपा कार्यकर्ताओं ने इससे पहले विभिन्न मंचों पर मौजूदा सांसद राजेंद्र गावित के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया, नारे लगाए और विरोध प्रदर्शन भी किया। ऐसे में इस सीट के लिए इन दोनों पार्टियों के बीच काफी प्रतिस्पर्धा है. अगर पालघर सीट शिवसेना के पाले में जाती है तो मौजूदा सांसद राजेंद्र गावित को दोबारा उम्मीदवार बनाया जाएगा या नहीं..?? यह चर्चा का विषय बना हुआ है। क्षेत्र में यह भी चर्चा है कि मुख्यमंत्री के कुनबे से शिवसेना में अन्य संभावित उम्मीदवारों की भी जांच की जा रही है. बताया जाता है कि इनमें से कुछ उम्मीदवार तो आज कल मुंबई में ही डेरा डाले हुए हैं। कई लोग यह भी देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या उन्हें भाजपा या कुछ 'मित्रों' से सिफारिश मिलती है जो वसई-विरार में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं। हालांकि, बीजेपी ने पालघर सीट पर अपना दावा बरकरार रखा है अथवा कई बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मोबाइल फोन पर किए गए सर्वे से अपने पसंदीदा उम्मीदवारों की पसंद को जांच कर कार्यकर्ताओं के बीच ताकत हासिल की है.जिले में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर यह सीट बीजेपी को मिलती है तो मौजूदा सांसद राजेंद्र गावित कमल सिंबल पर  चुनाव लड़ सकते हैं..?? स्थानीय स्तर पर भाजपा पदाधिकारी इस संबंध में सार्वजनिक रूप से बोलने को तैयार नहीं हैं। पालघर जिला की स्थानीय पार्टी बहुजन विकास अघाड़ी भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी है, वसई, पालघर अथवा अन्य तालुकाओं में बविआ कार्यकर्ताओं द्वारा बैठकें आयोजित कर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पालघर जिले में बहुजन विकास अघाड़ी के बलिराम जाधव निर्वाचित हुए थे। पालघर जिले में माना जाता है कि लोकनेता हितेंद्र ठाकुर की पार्टी की काफी अच्छी ताकत है. फिलहाल जिले में पार्टी के तीन विधायक भी हैं. जिस वजह से अगर बहुजन विकास अघाड़ी भी मैदान में उतरती है तो महागठबंधन को नुकसान हो सकता है. इसमें कोई दो राय नही है।

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