पाकिस्तान की जेलों में बंद मछुआरों के परिवार सरकार द्वारा घोषित आर्थिक सहायता की जोह रहे हैं बाट

पाकिस्तान की जेलों में बंद मछुआरों के परिवार सरकार द्वारा घोषित आर्थिक सहायता की जोह रहे हैं बाट

पालघर : पाकिस्तान की जेलों में बंद मछुआरों के परिवार को अब तक महाराष्ट्र सरकार द्वारा घोषित की गई आर्थिक सहायता मिलने की शुरुवात नही हुई है। जबकि इन मछुआरों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा राज्य सरकार ने अगस्त महीने में की थी,लेकिन अब तक मछुआरों के परिवार आर्थिक सहायता मिलने की राह देख रहे है।जबकि ये मछुआरों आदिवासी समाज से आते है और परिवार के कमाने वाले व्यक्ति के पाकिस्तान की जेल में बंद होने से इनकी आर्थिक हालत काफी खराब है। मछुआरों को तत्काल आर्थिक सहायता दिए जाने के मांग करते हुए पाक इंडो पीसफुल कमेटी के पूर्व सदस्य जतिन देसाई ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा है। और पालघर जिलाधिकारी गोविंद बोडके को भी इस संबंध में पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि पालघर जिले के 19 मछुआरे और खालाशी पाकिस्तान की जेलों में अभी बंद है। सरकार की घोषणा के अनुसार इनके परिजनों को 300 रुपए रोजाना की आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। आदिवासी बाहुल्य पालघर के जव्हार मोखाडा, विक्रमगढ़, वाडा, तलासरी, पालघर, दहानू तालुकों में रोजगार के कोई बड़े अवसर नहीं हैं, इसलिए 25,000 से अधिक आदिवासी गुजरात में मछली पकड़ने वाली नावों पर मछली पकड़ने का काम करते हैं। रोजगार के लिए राज्य गुजरात में ओखा, पोरबंदर, जामनगर जिले मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध हैं और इसे पैपलेट, ढाडा, घोल आदि के लिए ''गोल्डन बेल्ट'' माना जाता है। इसलिए इस क्षेत्र के खासकर पालघर जिले से मछुआरे और नाविक रोजगार के लिए नावों में आते हैं। यदि ये नौकाएँ गलती से पाकिस्तानी जल क्षेत्र में पहुँच जाती हैं, तो पाकिस्तानी सेना मछुआरों को गिरफ्तार कर लेती है और उनके खिलाफ मामला दर्ज करती है। इसके बाद वे सालों तक जेल में सड़ते को मजबूर होते है। बता दें कि गुजरात सरकार पाकिस्तान की ओर से पकड़े गए गुजराती मछुआरों के परिवार को मुआवजे के रूप में प्रतिदिन 300 रुपये देती है। जबकि गुजरात की नावों पर मछली पकड़ने जाने वाले बड़ी संख्या में मछुआरे महाराष्ट्र के होते है लेकिन उन्हें मदद नही मिलती। इसी को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने भी पाकिस्तान द्वारा पकड़े गए मछुआरों के परिवार को प्रतिदिन 300 रुपए आर्थिक सहारा देने का ऐलान किया था। जो अब तक पाकिस्तान की जेलों के बंद मछुआरों के परिजनों को नही मिली है।

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