सड़कों की बदहाली, रखरखाव के अभाव,घटिया निर्माण और खराब मेंटनेंस के चलते नेशनल हाईवे बना है मौत का जाल..
सड़कों की बदहाली, रखरखाव के अभाव,घटिया निर्माण और खराब मेंटनेंस के चलते नेशनल हाईवे बना है मौत का जाल..
पालघर : मुंबई अहमदाबाद हाईवे पर 1 जनवरी से 31 जुलाई तक पालघर जिले की सीमा के भीतर राजमार्ग पर 200 से अधिक दुर्घटनाएँ हुई हैं। महाराष्ट्र में गुजरात सीमा पर अच्छाड से लेकर मुंबई सीमा पर घोड़बंदर तक करीब 100 किलोमीटर की दूरी में पिछले 7 महीनों में हुई दुर्घटनाओं में 95 लोगों की जान चली गई है और 188 लोग घायल हुए है.जिनमें कई ड्राइवर भी शामिल हैं। मुंबई अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रतिदिन हजारों वाहनों का आवागमन होता है।अकेले पालघर जिले में दो स्थानों दहानू तालुका में चारोटी और वसई तालुका में खानीवड़े में वाहन चालकों से टोल वसूला जाता है. हालांकि रोजाना करोड़ों रुपये की टोल वसूली के बावजूद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और टोल वसूली करने वाले ठेकेदार वाहन चालकों और इस हाईवे से सफर करने वाले लोगों को जरूरी सुविधा नहीं देते हैं.मुम्बई अहमदाबाद हाईवे से करोड़ों का टोल कलेक्शन होता है. लेकिन इसके बदले में लोगों को जो सुविधा मिलनी चाहिए वह नही मिल रही है. हाईवे पर गड्ढों का सामाज्य हैं और इन गड्ढों के कारण लागतार दुर्घटनाएं हो रही हैं. इस हाईवे पर सैकड़ों टैंकर ज्वलनशील तेल और रसायनों का परिवहन कर रहे हैं और कई बार इन टैंकरों में आग लगने से दुर्घटनाएं भी हो रही हैं. समय पर फायर ब्रिगेड की सुविधा न मिलने के कारण टैंकर में रखा लाखों रुपये का केमिकल, ज्वलनशील तेल जल गए कई बार लोग भी इसके चपेट में आ गए। टोल वसूलने वाली कंपनियों को टोल बूथ पर अग्निशमन सुविधा रखना अनिवार्य है. लेकिन पालघर जिले के दोनों टोल बूथों पर अभी भी फायर ब्रिगेड की सुविधा नहीं है. हाईवे पर दुर्घटना या आग लगने की स्थिति में वसई विरार महानगर पालिका और दहानू,पालघर नगर पालिकाओं की फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को बुलाया जाता है. हालांकि तब तक आग लगी गाड़ी जलकर खाक हो जाती है. महज सात महीने में 200 दुर्घटनाएं और करीब 100 मौतों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. लोग सवाल पूछ रहे है, कि मुंबई अहमदाबाद नेशनल हाईवे हाईवे है या मौत का जाल..??. हाईवे पर घोड़बंदर और पालघर जिले के अच्छाड के बीच का 100 किलोमीटर का हिस्सा जानलेवा साबित हुआ है.इनमे अधिकांश हादसे तेज रफ्तार के कारण हुए हैं.लेकिन सड़कों की बदहाली, रखरखाव के अभाव,घटिया निर्माण और खराब मेंटनेंस के कारण अधिकांश हाईवे की बुरी हालत है. साथ ही ड्राइवरों के लिए साइनबोर्ड की कमी भी दुर्घटनाओं के लिए कम जिम्मेदार नही हैं.मुंबई अहमदाबाद हाईवे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के दायरे में आता है. लेकिन टोल वसूलने वाली निजी एजेंसी के पास रखरखाव की जिम्मेदारी है. दिशा-निर्देशों के तहत हाईवे पर हर 30 किमी पर एक एम्बुलेंस को तैयार रखा जाना चाहिए. साथ ही एक क्रेन एवं गश्त करने वाले वाहन भी होने चाहिए. लेकिन देश की अधिकांश हाईवे पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.देश भर में हाईवे और सड़को के जाल बिछाने और उनकी हालत सुधारने के तमाम दावे सरकारें रोजाना करती रहती है,लेकिन जब देश के दो बड़े शहरों मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने वाली सड़क की यह हालत है तो देश के दूसरे इलाकों में सड़कों की बदहाली का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. देश की इकॉनमी के लिए सड़कों की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि देश का दो-तिहाई से अधिक सामान ट्रांसपोर्ट सड़क से ही होता है।
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