नागरिकों को सस्ती और अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की नैतिक जिम्मेदारी है - मनोज बारोट
नागरिकों को सस्ती और अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की नैतिक जिम्मेदारी है - मनोज बारोट
विरार : 30 लाख से अधिक की आबादी वाला वसई तालुका अच्छी और सस्ती चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा के लिए तरस रहा है। भाजपा भी ईमानदारी से चाहती है कि नागरिकों को सस्ती और अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिले,लेकिन दुर्भाग्य से कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के चलते वसई विरार मनपा के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली मुफ्त सेवा में भी भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं। ऐसे में हाल ही में वसई विरार मनपा के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को सस्ती बीमारी जांच उपलब्ध कराने के नाम पर यूनिक डायग्नोस्टिक सेंटर, लाइफ स्कैन सेंटर और निदान लेबोरेटरीज एंड हेल्थ लिमिटेड को म्यूनिसिपल वैधानिक स्वास्थ्य के रूप में नियुक्त किया है. वर्ष 2022/23, 23/24 एवं 24/25 को विभाग के कार्यरत चिकित्सालयों एवं मातृ व शिशु देखभाल केन्द्रों में उपचाराधीन मरीजों की जांच हेतु नियुक्ति का कार्य सौंपा गया है। भाजपा के वसई विरार जिला उपाध्यक्ष मनोज बारोट ने इस जनादेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह जनादेश मरीजों की सुविधा या सेवा के लिए नहीं बल्कि गरीबों और करदाताओं के लिए लूट साबित होगा. इसलिए मनपा आयुक्त अनिल पवार को पत्र देकर इस शासनादेश को रद्द करने की मांग की है क्योंकि जिन 3 रोग जांच केंद्रों के साथ अनुबंध किया गया है, उनमें एक अद्वितीय डायग्नोस्टिक सेंटर की नियुक्ति अनुबंध पर सवाल उठा रही है।मनोज बारोट ने अपने लिखित पत्र दिनांक 28 अप्रैल 2022 में इस डायग्नोस्टिक सेंटर के बारे में मांग की थी कि इसकी जांच होनी चाहिए कि आखिर यूनिक डायग्नोस्टिक कौन है जो मनपा में इलाज करा रहे मरीजों को लूट रहा है.लेकिन जांच या कार्रवाई की जगह इस पैनल पर ऐसे डायग्नोस्टिक सेंटर की नियुक्ति? इसी तरह यह वर्क ऑर्डर रेफरेंस नंबर 1 बताता है कि यह वर्क ऑर्डर उनके द्वारा दी गई कीमत पर दिया गया है, इन तीन डायग्नोस्टिक सेंटरों को एक ही दिन यानी 7 तारीख को सस्ती दर पर सेवाएं देने का विचार कैसे आया। नवंबर 2022 यह समझौता उन्हीं के लिए क्यों है जिनका इलाज मनपा के अस्पतालों में होता है? तालुका के सभी आम नागरिकों के लिए क्यों नहीं? ऐसे कई मुद्दे इस एजेंडे को संकट में डाल रहे हैं। बारोट का कहना है कि नागरिकों को सस्ती और अच्छी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की नैतिक जिम्मेदारी है। इसलिए इस प्रकार के कार्यादेश जारी करने के बजाय तालुका के सभी नागरिकों के लिए निविदा प्रक्रिया के माध्यम से यह व्यवस्था की जानी चाहिए था, या रोगियों से केवल उन सेवाओं के लिए शुल्क लिया जाना चाहिए जो निःशुल्क उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन अस्पताल और जच्चा-बच्चा की देखभाल की मुफ्त सुविधा को भी इस शासनादेश में शामिल किया गया है और कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के मैदान साफ करने का काम भी इसी शासनादेश से किया गया है। बारोट ने यह भी आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए अपने निजी फायदे के लिए यह समझौता किया है। इसलिए बारोट ने चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की भ्रष्ट व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए पिछले साल अलग-अलग तारीखों में 5 पत्र दिए हैं, गलत तरीके से जारी शासनादेश को निरस्त करने के साथ ही बारोट ने आयुक्त से उन पत्रों पर विचार कर सही निर्णय लेने का अनुरोध किया है।
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