बाबा जयगुरुदेव के शाकाहार और सदाचार को जन जन तक पहुंचाने की दिशा में बाबा के अनुयायियों द्वारा उठाया गया सार्थक कदम

बाबा जयगुरुदेव  के शाकाहार  और  सदाचार  को जन जन तक पहुंचाने की दिशा में बाबा के अनुयायियों द्वारा उठाया गया सार्थक कदम

पालघर : जयगुरुदेव नाम की महिमा सुनाते, शाकाहार व सदाचार का पाठ पढ़ाते, सामाजिक सौहार्द बनाकर रखने तथा अच्छे समाज के निर्माण में अपना योगदान देने की अपील करते हुये चार प्रान्तों के भ्रमण के पश्चात् महाराष्ट्र प्रान्त में जगह-जगह अपने सत्संग संदेश सुनाते हुये जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के अध्यक्ष व परम संत बाबा जयगरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य पंकज जी महाराज पालघर स्टेशन के पास अम्बेडकर नगर क्रिकेट मैदान गांधीनगर अपने छः प्रान्त व 77 दिवसीय काफिले के साथ 34वें पड़ाव पर पधारे। जहां पर भारी संख्या में उपस्थित भाई-बहनों व बच्चों ने नारियल सुसज्जित कलशों, फूल मालाओं व बैण्ड बाजे तथा आतिशबाजी से पूज्य महाराज जी के पूरे काफिले का स्वागत किया। आज यहां सत्संग समारोह का आयोजन किया गया। मंच पर संस्था के मन्त्री विनय कुमार सिंह, संगत पालघर के अध्यक्ष सुरेन्द्र भगत, अरूण कुशवाहा, सन्दीप राउत, श्रीमती अल्का राजपूत नगरसेविका, दीपक कुमार सुरवाड़े, तुसार मोरे, राम प्रसाद भगत, शरद जाधव, विकास गायकवाड़, जयपाल आदि ने पुष्पहार भेंटकर पूज्य महाराज जी का स्वागत किया। तथा सत्संग सम्बोधन में संस्था प्रमुख ने बताया कि गुरु की महिमा अनन्त है। गुरु के बिना इस संसार की कोई विद्या नही सीख सकते। गुरु के बिना भवसागर से पार कैसे जा सकते हैं? तीन लोक नौ खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय करता करै, न कर सकै, गुरु करै सो होय। यहाँ तक कहा गया है कि गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवौ महेश्वरः गुरु साक्षात् पारब्रह्म तत्स्मैं श्रीगुरुवे नमः। ऐसे समर्थ गुरु जब भाग्य से मिल जाते हैं तो हमें यह समझाते हैं कि इसी मनुष्य शरीर में प्रभु को पाने का एक दरवाजा है जिसको तीसरा तिल, ज्ञान चक्षु, शिव नेत्र कहते हैं। ऐसे भेदी गुरु ही अपनी दया करके कलयुग की साधना सुरत, शब्द योग (नाम योग) का मार्ग देकर जीवों से साधना कराके भवसागर से पार कर देते हैं। क्योंकि यह कलयुग है इसमें मानव की आयु सीमा घटकर मात्र 100 वर्ष ही रह गई, उसमें भी अशुद्ध खान-पान के कारण अल्प आयु में भी मृत्यु होने लगी है। हमारे गुरु महाराज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने इसीलिये शाकाहार पर विशेष जोर दिया और कहा कि यदि शरीर को, परिवार को, समाज को सकुशल देखना चाहते हो तो शाकाहार को अपनाना जरूरी है। शाकाहार के अभाव में ही इन्सानों का चरित्र पतन हो गया। इन्सान दुनियां के ऐशो इशरत शराबों, कबाबों में फंस गया इसी में सुख ढूढ़ने लगा। अब उसे यही होश नहीं रहा कि क्या अच्छा और क्या बुरा है? आँखों में मां, बहन, बेटी की पहचान खतम हो गई। जबकि चरित्र ही इन्सानों की सबसे बड़ी पूंजी है। इसीलिये सभी धार्मिक लोगों से, समाज सेवियों से, शुभ चिन्तकों से अपील है कि अच्छे समाज के निर्माण में अपना-अपना सहयोग प्रदान करें। संत पंकज जी ने जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में होली महोत्सव के अवसर पर आगामी 7, 8 व 9 मार्च को आयोजित होली सत्संग मेला में पधारने का निमन्त्रण दिया। कहा, यहाँ वरदानी जयगुरुदेव मन्दिर बना है जहां पर बुराईयाँ चढ़ाने पर मनोकामना पूरी होती है। सभी धर्म-मजहब के लोग यहाँ आते हैं। वहाँ पधारकर दया, दुआ, आशीर्वाद प्राप्त करें। संस्था द्वारा संचालित हजारों गोवंश की गोशाला, निःशुल्क विद्यालय, निःशुल्क भण्डारा (लंगर), निःशुल्क चिकित्सालय के संचालन व मीठे पानी की निःशुल्क आपूर्ति धर्मादा कार्यों के बारे में भी बताया।इस अवसर पर राम पटेल, बिजय यादव संस्था के पदाधिकारी व प्रबन्ध समिति के कई सदस्यगण आदि मौजूद रहे। सत्संग के बाद जनजागरण यात्रा अपने अगले पड़ाव आशागड़ ता.डहानूं जिला-पालघर (महाराष्ट्र) के लिये प्रस्थान कर गई।

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