शिक्षा नहीं, लूट का कारोबार बनते जा रहा है विद्यालय
शिक्षा नहीं, लूट का कारोबार बनते जा रहा है विद्यालय
पालघर : पालघर जिला में फर्जी तरीके से चल रहे विद्यालयों को प्रशासन द्वारा लगातार नजरअंदाज किए जाने से जिला प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। बेहतर शिक्षा का प्रलोभन देकर बच्चों का प्रवेश करने वाले इन संस्थान के संचालकों द्वारा बच्चों के अभिभावकों की जेबों पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। पालघर जिले में 143 विद्यालय अवैध तरीके से संचालित किए जा रहे है इनमे सबसे ज्यादा 127 अवैध विद्यालय वसई तालुका में चल रहे है। इन विद्यालयों को बिना किसी डर के धडल्ले से संचालित किया जा रहा है। इन विद्यालयों में 59 माध्यमिक और 84 प्राथमिक स्कूल है। वर्ष 2018 से 2022 के बीच जिले में अवैध विद्यालयों के विरुद्ध कुल 22 मामले दर्ज किये गये हैं किंतु अभी भी कई विद्यालयों का संचालन प्रभावी ढंग से किया जा रहा है, जिससे इन विद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है. लेकिन इस समस्या का स्थाई हल निकलता नही दिख रहा है। चार माध्यमिक विद्यालयों और बारह माध्यमिक विद्यालयों सहित कुल 16 विद्यालयों को निरीक्षण के बाद बंद कर दिया गया है,जबकि 49 माध्यमिक विद्यालय और 67 प्राथमिक विद्यालयों सहित कुल 116 फर्जी विद्यालय बिना किसी मान्यता के अभी भी खुले हुए हैं.शिक्षा विभाग द्वारा आधिकारिक तौर पर यह कहा गया था कि सरकार द्वारा 11 विद्यालयों को मान्यता की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है. जिले के कुल 143 बिना मान्यता के विद्यालयों में से अकेले वसई तालुका में 127 विद्यालय हैं। पालघर तालुका में नौ, वाडा तालुका में तीन, विक्रमगढ़ तालुका में दो, डहानू तालुका में एक और जव्हार तालुका में एक विद्यालय बिना मान्यता के चल रहे हैं। इन्हे अवैध तरीके से संचालित करने की जानकारी शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी गई है. समाजसेवियों का कहना है, कि जिले में बड़े पैमाने पर कई वर्षों से खुलेआम फर्जी तरीके से विद्यालय चल रहे हैं। और शिक्षा विभाग का इन्हे आश्रय मिलता है। जब वार्षिक परीक्षा का समय आता है तब शिक्षा विभाग को ऐसे विद्यालयों का पता चलता है. इन विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हजारों छात्रों ने अन्य मान्यता प्राप्त स्कूलों के माध्यम से परीक्षा में शामिल होने के लिए पंजीकरण कराया है। लोगों का कहना है, कि सरकार इन फर्जी विद्यालयों का गंभीरता से संज्ञान में ले और इन विद्यालय संचालकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे अथवा इन विद्यालयों को मान्यता देकर उन्हें वैध करने की अनुमति दे ताकि छात्रों एवं उनके अभिभावकों पर पड़ने वाले मानसिक तनाव को दूर किया जा सके और विद्यार्थियों की शिक्षा का मार्ग सुगम हो सके। शिक्षा विभाग बिना मान्यता के चल रहे विद्यालयों पर कार्यवाही करता रहता है.जो दिखावा और कागजी कार्यवाही ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रहा है. जिससे फर्जी विद्यालयों की संख्या बढ़ती ही जा रही है और शिक्षा विभाग का कार्य सिर्फ इन विद्यालयों में विद्यार्थियों के प्रवेश न लेने की चेतावनी देने तक ही सीमित रह गया है।
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