निजी विद्यालयों के मनमानी फीस वसूली से अभिभावक त्रस्त, विद्यालय प्रशासन मस्त

निजी विद्यालयों के मनमानी फीस वसूली से अभिभावक त्रस्त, विद्यालय प्रशासन मस्त

वसई : पिछले दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना के चलते अनेक लोगों की नौकरी चली गई, काम-धंधे बंद हो गए। उनके सामने आर्थिक संकट पहाड़ बनकर खड़ा हो गया है। उनकी सारी बचत लॉकडाउन के दौरान खर्च हो चुकी है। आम आदमी अभी राहत की सांस नही लिया कि तब तक उनकी परेशानियों में निजी विद्यालयों ने बहुत ज्यादा इजाफा कर दिया है। लॉकडाउन अनलॉक होने के बाद लोगों को अपने पांवों पर खड़ा होने के लिए कुछ और वक्त की जरूरत है किंतु निजी विद्यालय उन्हें लूटने में लगे हुए हैं और इस लूट की कोई हद भी नहीं है। कोरोना संकट तो मानो निजी विद्यालयों के लिए लूट का अवसर बन गया है। कोरोना संकट के बीच वसई विरार शहर के निजी विद्यालयों ने अपनी फीस में बेतहाशा बढोत्तरी कर दी है। जबकि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के समय विद्यालयों को आदेश दिया था कि वह ट्यूशन फीस के अलावा कोई और फीस चार्ज न करें अथवा महाराष्ट्र सरकार द्वारा फीस मे 15 प्रतिशत की छूट देने का प्रावधान किया गया था किंतु इसके लिए कोई कानून नहीं बनाया गया। जिसका परिणाम यह है कि आज निजी विद्यालय मनमाना उगाही करने में लगे हुए हैं।अभिभावको की माने तो विद्यालयों में बच्चों की फीस मे बडे पैमाने पर बढोत्तरी की गई है कुछ निजी विद्यलयों ने तो अभिभावकों को बिना नोटिस दिए ही मनमानी फी​स वसूलनी शुरू कर दी है जिससे अभिभावक परेशान हैं कि वह बढ़ी हुई फीस विद्यालय में कैसे जमा कराएं..?? अभिभावकों के समक्ष एक तरफ आर्थिक संकट तो दूसरी तरफ निजी विद्यालयों का मनमाना फीस...!! कोरोना काल में निजी विद्यालयों की चांदी सी हो गई है।अभिभावक के हिस्से में सिर्फ और सिर्फ रोना ही आया है। शिक्षा का बढ़ता व्यवसायीकरण चिंता का ​विषय है। जिसपर शिक्षा विभाग को ध्यान देना चाहिए अथवा निजी विद्यलयों के मनमाने रवैये पर नकेल कसना चाहिए।

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