शिक्षा विरोधी नीति के चलते ठाकरे सरकार ने रोका शिक्षकों का पुरस्कार - राजन नाईक

शिक्षा विरोधी नीति के चलते ठाकरे सरकार ने रोका शिक्षकों का पुरस्कार - राजन नाईक 

वसई : वसई विरार शहर जिलाध्यक्ष राजन नाइक ने एक प्रेस विज्ञाप्ति जारी कर महाराष्ट्र राज्य के ठाकरे सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ठाकरे सरकार शिक्षा विरोधी नीति के चलते राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को पुरस्कृत करने की प्रथा पर रोक लगाकर शिक्षकों की उपेक्षा की है तथा उन्होंने मांग की है कि लगातार दो साल से राज्य के शिक्षकों पर लगे प्रतिबंध को हटाकर शिक्षा का रुख पलट कर शिक्षकों को पुरस्कृत करने की परंपरा को पुनः प्रारंभ किया जाए। राज्य सरकार द्वारा राज्य में शिक्षकों को आदर्श शिक्षक पुरस्कार देने की प्रथा 5 सितंबर को ठाकरे सरकार के बिना कोई कारण बताए सत्ता में आने के बाद रोक दी गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कारों के लिए राज्य में शिक्षकों से आवेदन आमंत्रित करने वाली ठाकरे सरकार को पुरस्कारों को बंद करते समय कोई दुख नहीं हुआ..?? आगे उन्होंने कहा कि जहां राज्य के शिक्षकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाता रहा है, वहीं राज्य सरकार ने आदर्श शिक्षक पुरस्कार से स्कूली शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिक्षकों को वंचित कर अपनी शिक्षा विरोधी नीति का पर्दाफाश किया है। पिछले वर्ष कोई आदर्श शिक्षक पुरस्कार नहीं दिया गया अथवा इस वर्ष भी अब तक आदर्श शिक्षक पुरस्कार को लेकर कोई परिपत्रक जारी नहीं किया गया है।शिक्षकों की बार-बार मांग के बावजूद, सरकार ने चयन समिति या चयन प्रक्रिया की घोषणा नहीं की है।पत्र में यह भी मांग की गई है कि जो लोग पिछले साल पुरस्कारों का चयन न करने के कारण पुरस्कार और इसके लाभों से वंचित थे, उनका चयन किया जाना चाहिए और शिक्षा क्षेत्र का अपमान रोकने के लिए इस वर्ष के पुरस्कारों की तुरंत घोषणा की जानी चाहिए। शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर राज्य भर के शिक्षकों की कई शिकायतें सरकार के समक्ष लंबित हैं। सरकार द्वारा शिक्षकों के वेतन वृद्धि के मुद्दे को प्रशिक्षण की निरर्थक शर्त के साथ ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।फडणवीस सरकार द्वारा प्रशिक्षण की शर्त को रद्द करने और इस तरह के एक आदेश जारी करने के बाद भी ठाकरे सरकार ने इस शर्त का पालन किया है और शिक्षकों को लाभ से वंचित करके उनका मजाक उड़ाया है। हजारों शिक्षक महीनों से अपने वेतन से वंचित हैं।  सेवानिवृत्त शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद कई माह से पेंशन का लाभ व अन्य लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार के अड़ियल रवैये के चलते राज्य में लगभग 40,000 शिक्षक वेतन वृद्धि से वंचित हैं। सरकार ने पुरस्कार की घोषणा नहीं करने के लिए पुरस्कार विजेता शिक्षकों के लिए दो वेतन वृद्धि के मुद्दे को भी टाल दिया है।


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