पत्रकारिता का बदलता आयाम
पत्रकारिता का बदलता आयाम
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अर्थात मीडिया......जिसे समाज मे एक आईना के रूप में देखा जाता है। काफी समय पहले पत्रकारों को समाज में काफी सम्मानजनक स्थान दिया जाता था। पत्रकार अपने कलम की रोसनाई से समाज का दर्पण खुद समाज के सामने प्रदर्शित करते थे, पत्रकारों का मूलभूत कर्तव्य एक स्वच्छ समाज के निर्माण में सहयोग करना होता था। पत्रकारिता लोगों के लिए एक मिशन होता था जिसे लोग पूरी ईमानदारी से अंजाम दिया करते थे..,किंतु आज......आज...समय के साथ-साथ इसका भी स्वरूप काफी बदल सा गया है। आज भी इस क्षेत्र मे ऐसे लोग है जो समाज की सेवा को ही सर्वोपरि मानते है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जिनकी सोच बदल गयी है उनके जहन मे पत्रकारिता का अर्थ बदल गया है वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना भूलते जा रहे हैं। पत्रकारिता के माध्यम से आज कुछ लोग समाज का नहीं वरन स्वयं का विकास करने में जुटे हुए हैं। आज के इस दौर मे तो यह भी देखा जा रहा है कि कुछ पत्रकार पत्रकारिता करते करते ठेकेदार भी बन बैठे है। जिनके साथ तमाम छोटे बड़े ठेकेदारों का एक समूह सा खड़ा हो गया है जो कि उनके द्वारा लिए गए कामों को अपने नाम से कराते है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह सब होते हुए भी सबसे पहले वे पत्रकार हैं। आजकल तो कुछ ठेकेदार भी पत्रकार बन गए है। चंद पैसों की लालच मे कुछ अख़बार के मालिक व संपादक ठेकेदारों को भी समाचार पत्र के पहचान पत्र जारी कर दिए है जिससे वे उस पहचान पत्र का दुरुपयोग करते हुए लोगों पर अपना धौंस जमाते है..। जिसे देखते हुए पत्रकारिता की मूल भावना को बचाने और लोगों के विश्वास को दोबारा पैदा करने के लिए पत्रकारिता से जुड़े लोगों को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है, क्योकि पत्रकारिता और ठेकेदारी दो अलग अलग धड़ हैं दोनों का मिलन जनता के हित में कभी भी नही हो सकता।
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