पत्रकार का दर्द सुनेगा कौन..?केंद्र, राज्य व क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों को नही है पत्रकार की चिंता....
पत्रकार का दर्द सुनेगा कौन..?केंद्र, राज्य व क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों को नही है पत्रकार की चिंता.. - लालप्रताप सिंह
पूरे भारतवर्ष मे पिछले एक वर्ष से कोरोना जैसे महामारी ने एक भयावह रूप ले लिया है,ऐसे मे पत्रकार कोरोना जैसे महामारी के बीच अपनी पूरी जिम्मेदारी व निष्ठा के साथ अपना कार्य कर रहे हैं। बता दें कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से सभी आम जन मानस तक मीडिया अपनी भूमिका निभा रही है बावजूद इसके कोरोना जैसे महामारी के बीच अपनी पूरी जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करने वाले पत्रकार की कोई भी चिंता न ही केंद्र में बैठे बड़े राजनीतिक दलों को है और न ही राज्य व क्षेत्र के सत्ता रूढ़ पार्टी के राजनीतिक दलों को। कोरोना महामारी के बीच जनता व शासन प्रशासन के बीच की कड़ी बनकर बखूबी कार्य करने वाले पत्रकार की किसी को भी चिंता नही है इसके बाद भी पत्रकार लगातार अपनी सेवा दे रहें हैं। अभी हाल ही मे एक पखवाड़े के अंदर ही कोरोना संक्रमण के चलते इलाज के अभाव मे कई पत्रकारों ने दम तोड़ दिया किंतु अफ़सोस वहीं सरकारी फर्म मे कार्य करने वालों को राज्य व केंद्र से शासन की ओर से सभी सुविधा मुहैया कराई जाती है परंतु पत्रकारों के प्रति कोई भी जन प्रतिनिधि आज तक आवाज़ नही उठाया। आज पत्रकारों के दर्द को समझने वाला कोई नही, इतना ही नही पत्रकार को चतुर्थ श्रेणी का तो दर्जा दे दिया गया है किंतु उन्हें किसी प्रकार की कोई भी सुविधा मुहैया नही कराई गई है। बल्कि आपस मे द्वेष पैदा करने के लिए दुहरी नीति अपनाई जाती है। सरकारी फर्म मे कार्य करनेवाले हर किसी को कोरोना वारियर्स समझा जाता है किंतु जनता व शासन प्रशासन के बीच कार्य करनेवाले पत्रकार को किसी भी प्रकार का कोई सम्मान नही, उसे सिर्फ और सिर्फ एक प्रचार का माध्यम समझा जाता है।आज लोकल ट्रेनों मे यात्रा करने के लिए सरकारी फर्म मे कार्य करनेवाले लोगों को इजाजत है किंतु देश के चौथे स्तंभ को नही. आख़िर क्यों..??यदि पत्रकार की अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए कोरोना जैसी भयावह महामारी के बीच उसकी मृत्यु हो जाये तो उसके परिवार को राज्य व केंद्र द्वारा कोई भी आर्थिक सहायता प्रदान नही कराई जाती है और न ही अब तक शासन प्रशासन द्वारा पत्रकारों का स्वास्थ्य बीमा ही कराया गया है की उसे इलाज के दौरान कुछ सहूलियत मिल सके।
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