महाराष्ट्र सरकार हिन्दुओं कि धार्मिक आस्था से खेल रही है - मनोज बारोट

महाराष्ट्र सरकार हिन्दुओं कि धार्मिक आस्था से खेल रही है - मनोज बारोट

वसई  ( लालप्रताप सिंह ) : महामारी कोविड -१९ के चलते जहां पूरा देश थम सा गया था वहीं अब वह धीरे धीरे सावधानी के साथ गतिशील हो रहा है जो कि सुखद है, लॉकडाउन के चलते मानो देश की धड़कन रुक सी गई थी, लोग अपने घरों मे बैठकर बेरोजगार का जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो गए थे जिसके चलते परेशानी की वजह से कई जगहों पर लोग आत्महत्या करने तक के कदम उठाने लगे थे तो कहीं कहीं अपराध का ग्राफ़ भी काफ़ी हद तक बढ़ गया ऐसे मे अब जनजीवन को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा पुरजोश कोशिश किया जा रहा है तथा जल्द ही सब सामान्य हो जाएगा किंतु यदि वहीं हम महाराष्ट्र राज्य की बात करे तो महाराष्ट्र की स्थिति सामान्य होने मे लंबा समय लगेगा ऐसा प्रतीत हो रहा है। 

ज्ञात हो कि महाराष्ट्र सरकार ने दो माह पूर्व पुलिस प्रशासन को आदेश दिया था कि कोरोना के चलते सभी कैदियों को पे-रोल पे रिहा कर दिया  जाए जिसको लेकर सरकार की जमकर भत्सर्ना हुई थी, ऐसे मे सवाल उठता है कि जब  महाराष्ट्र सरकार खूंखार कैदियों को जिन्होंने की कई परिवारों की बहन बेटियो की इज्जत लूटी,कई परिवारों कि बहन बेटियों के सुहाग उजाडे, कई बच्चो को अनाथ किए ऐसे कैदियों को जेल से रिहा करने के लिए जेल के ताले  खोलने के बारे मेे सोच सकती है तो मंदिर के ताले खोलने के बारे में क्यों नहीं..?

केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने भी 25 अगस्त को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और माननीय राज्यपाल महोदय को एक लिखित पत्र और ट्विटर के माध्यम से धार्मिक स्थलों को खोलने की विनंती की थी और उसी दौरान 27 अगस्त को भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष श्री चंद्रकांत दादा पाटिल ने भी वृत्तपत्रों के माध्यम से राज्य के सभी धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए 29 अगस्त को घंटानाद करके सोई हुई सरकार को जगाने के लिए राज्यव्यापी घंटानाद आंदोलन किया था ताकि मंदिरो को खोले जाए लेकिन अनलॉक 5 शुरू हुआ जिसमें भी महाराष्ट्र सरकार ने मंदिरो को ताले बंदी मेे ही रखा।

अनलॉक 5 मेे होटेल, बीयर बार जैसी जगहों को खोलने की अनुमति दी गई, ये भी खोलना जरूरी था क्योंकि लोगो का रोजगार शुरू करना भी जरूरी है, लेकिन सरकार की सोच को मै सलाम करता हूं क्योंकि जब बीयर बार चालू होंगे तो सरकारी तिजोरी मेे महसुल जमा होगा इसलिए अपनी कमाई के बारे में सोचा लेकिन मंदिर बंद होने से पुजारी, मंदिर के बाहर फूल, हार, प्रसाद, भिक्षु और छोटे मोटे व्यवसाय कर के अपना गुजारा करनेवालों के बारे में क्यों नहीं सोचा?

दूसरे राज्यो मेे सभी धार्मिक स्थलों को खोले गए है लेकिन हमारे महाराष्ट्र मेे ही क्यों नही? 17 अक्टूबर से नवरात्रि उत्सव शुरू होने जा रहा है. लेकिन सरकार ने मंदिरो को खोलने के बारे मेे नहीं सोचके यह साबित कर दिया है कि सरकार हिन्दुओं की धार्मिक भावना से खेल रही है यह कहना अनुचित नहीं होगा।

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