स्वास्थ्य विभाग ‘अंधा’, झोलाछाप कर रहे मौत का धंधा
स्वास्थ्य विभाग ‘अंधा’, झोलाछाप कर रहे मौत का धंधा,आखिर कब गिरेगी इनपर प्रसाशनिक गाज..??
कन्हैयालाल दुबे
भदोही: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते झोलाछाप लोगों को स्वस्थ करने के बजाय उनको मौत के मुंह में ढकेल रहे हैं। इस तरह की घटनाएं पहले भी कई बार हो चुकी हैं,शहर के बाहरी इलाकों और देहात में झोलाछापों ने खुद को डॉक्टर घोषित कर रखा है। इनमें से कुछ बिना डिग्री के डॉक्टर हैं तो कुछ अवैध डिग्रियों वाले। यह कथित डॉक्टर हर मर्ज के इलाज की गारंटी लेते हैं और जब केस बिगड़ जाता है तो फिर हाथ खड़े कर देते हैं। कुछ मरीज इन झोलाछापों के इलाज से मौत के मुंह में समा चुके हैं तो कुछ की हालत बिगड़ चुकी है। कई बार जमकर हंगामा भी हुआ है। इन झोलाछापों पर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते अंकुश नहीं लग पा रहा।
भदोही जनपद में भी अलग अलग क्षेत्र जैसे ज्ञानपुर,सुरियावां,भदोही, जंगीगंज,कोनिया क्षेत्र,दानुपुर, दुलहीपुर, पलवारपुर, मोढ, दुर्गागंज,औराई,गोपीगंज के साथ साथ ऐसे कई बड़े व छोटे क्षेत्रो में छोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला है,जो बिना किसी डिग्री के भी अपने आपको बड़े डॉक्टरों की तुलना कराते है।
झोलाछापों के खिलाफ सख्त नियम कानून हैं। यदि कोई अप्रशिक्षित और अपराधिक व्यक्ति किसी मरीज का इलाज करे तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 419, 420 के अलावा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15(3) के तहत कड़े दंड का प्रावधान है। इस एक्ट में दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा यदि उसकी डिग्री फर्जी हैं तो उसके खिलाफ धारा 468, 471 के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है।
इसके विपरीत स्वास्थ्य विभाग इन झोलाछापों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाता। शासन के आदेश हैं कि समय-समय पर निरीक्षण कर यह देखा जाए कि कोई झोलाछाप प्रेक्टिस तो नहीं कर रहा लेकिन यहां कार्रवाई केवल नोटिस तक सीमित रहती है। शिकायत मिलने पर उसे नोटिस जरूर दिया जाता है।
यह झोलाछाप महज उल्टी-दस्त, बुखार का ही इलाज नहीं करते, बल्कि गुपचुप तरीके से अपने बड़े-बडे़ नर्सिंग होम तक खोल रखे हैं। वहां ऑपरेशन तक की व्यवस्था हो जाती है। डिलीवरी से लेकर सर्जरी तक झोलाछापों के नर्सिंगहोम में हो जाती है। यही नहीं कुछ झोलाछाप और ज्यादा शातिर दिमाग से काम कर रहे हैं। झोलाछाप ने अपने क्लीनिकों व नर्सिंगहोम के बाहर डिग्रीधारक डॉक्टरों के बोर्ड लगवा रखे हैं। यह डिग्रीधारक डॉक्टर तो वहां आते नहीं है। ऐसे में नर्सिंगहोम का पूरा काम यही झोलाछाप करते हैं। इन नर्सिंगहोम पर स्वास्थ्य अधिकारी भी नहीं जाते।
काफी झोलाछाप तो ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को बंगाली डॉक्टर, जर्राह, वैद्य, हकीम व अन्य डिग्री धारक घोषित कर रखा है। स्वास्थ्य विभाग कभी इनकी डिग्रियों का गहनता से परीक्षण नहीं करता। दूर-दूर के राज्यों की फर्जी डिग्रियों से यह झोलाछाप डॉक्टर बन गए हैं। यही नहीं कई बार तो शहर के कुछ नामी गिरामी हॉस्पिटल में कुछ डॉक्टरों की डिग्रियों पर सवाल खड़े हुए हैं। वैसे भी स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के आपसी तालमेल के अभाव में इन झोलाछापों के खिलाफ छापेमारी नहीं हो पाती। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बिना फोर्स के छापेमारी करने जाने में हिचकते हैं।
हालांकि इस मामले स्वास्थ्य विभाग से बात की गई तो उन्होंने भी कार्यवाही का आश्वासन दिया है।
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