"ऑनलाइन शिक्षा सिर्फ दिखावा, अभिभावकों से फ़ीस ऐढ़ने का है एक जरिया"

 "ऑनलाइन शिक्षा सिर्फ दिखावा, अभिभावकों से फ़ीस ऐढ़ने का है एक जरिया"

निजी विद्यालयों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई का दिखावा कर अभिभावकों पर फ़ीस के लिए डाला जा रहा दबाव 

वसई ( लालप्रताप सिंह ): आम जनता एक तरफ कोरोना जैसी भयावह महामारी से जुंझ ही रही है साथ ही  साथ वसई विरार शहर के निजी विद्यालयों के मनमाने रवैये से भी आम जनमानस त्रस्त है। बता दें कि इस समय जहां कोरोना महामारी व लॉकडाउन के चलते लोगों के जीवन अस्त व्यस्त हो गया है ऐसे मे निजी विद्यालयों द्वारा अभिभावकों को लगातार फोन करके फीस की मांग की जा रही है,जिससे वे मानसिक रूप से काफी त्रस्त है। लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा सी गई है तो वहीं स्कूल वाले अपने स्कूल फीस की वसूली के चक्कर में ऑन लाइन पढ़ाई करा रहे हैं, जिसका कोई भी अर्थ नही निकलता है। ज्ञात हो कि कई विद्यालय द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है वें सिर्फ किताब से पाठ्यक्रम की छायाचित्र निकाल कर भेज देते है जो कि बच्चों की समझ से परे है, अथवा कई जगह तो  ऑनलाइन पढ़ाई के समय अधिकांश शिक्षक या फिर बच्चों का नेटवर्क गायब हो जाता है जिससे ऑनलाइन शिक्षा मे काफी व्यवधान आ रहे हैं किंतु विद्यालय प्रशासन ऑनलाइन पढ़ाई कराने की आड़ में अभिभावकों से फीस जमा करने का लगातार दबाव डाल रहे हैं। एक समय था कि जब यही विद्यालय प्रबंधन यदि बच्चा गलती से मोबाईल फोन स्कूल में लेकर चला जाता तो विद्यालय वाले अविभावक को बुला कर खरि खोटी सुनाते थे , लेकिन अब वही विद्यालय वाले अपने फीस की वसूली करने के नाम पर ऑनलाइन पढ़ाई कराने का दिखावा कर रहे हैं।जो छात्र फीस भर दिया है उसका अलग ग्रुप बनाकर पढ़ाई करवाने का ढ़कोसला कर रहे है । वही फीस नही जमा करने वाले छात्रों को अलग ग्रुप में डाल कर मानसिक रूप से तकलीफ दे रहे है। गौरतलब हो कि वसई , विरार , नालासोपारा शहर के निजी स्कूल वाले छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने का दिखावा कर रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाने के नाम पर फीस का भुगतान करने के लिए विद्यालय द्वारा  अभिभावकों को विद्यालय मे बुलाया जा रहा है। वहीं कुछ अभिभावकों का कहना है कि एक तरफ तो महाराष्ट्र राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ का कहना है कि यदि कोई निजी विद्यालय किसी अभिभावक से फीस को लेकर दबाव डाले तो उसकी शिकायत शिक्षा अधिकारी को करें किंतु यहां पर सुनने वाला कोई नही है। 

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