पालघर जिला का कांग्रेस अध्यक्ष अल्पसंख्यक अथवा आदिवासी समाज का होने की संभावना
पालघर जिला का कांग्रेस अध्यक्ष अल्पसंख्यक अथवा आदिवासी समाज का होने की संभावना
पालघर में हुए स्वतंत्रता आंदोलनो में मुस्लिम समाज के असंख्य देशभक्त लोगों ने भी भाग लिया था और अल्पसंख्यक समाज का झुकाव पहले से कांग्रेस की तरफ ही रहा है,लेकिन फिर भी मुस्लिम समाज के किसी भी कांग्रेस के निष्ठावान व्यक्ति को अभी तक कांग्रेस का जिला अध्यक्ष पद नहीं दिया गया जिससे मुस्लिम समाज में नाराजगी के स्वर समय समय पर उठते रहे हैं।
वर्तमान जिला कांग्रेस कमेटी में अल्पसंख्यक(मुस्लिम) समाज के तीन निष्ठावान वरिष्ठ पदाधिकारी कार्यरत हैं। जिनमे (1) रूफी खलील भूरे (कार्याध्यक्ष), (2) मोईज सलीम शेख (महासचिव) तथा (3) सिकन्दर कुतबुद्दीन शेख (वरिष्ठ उपाध्यक्ष) जिलाध्यक्ष के पद हेतु प्रमुख दावेदार बताए जाते हैं। क्यों कि राजकारण व समाजकारण इन दोनों क्षेत्रों में इनका बड़ा अच्छा अनुभव है और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं से भी उनके बेहतर सम्बन्ध हैं इसलिए इन तीनों में से किसी के भी गले में जिलाध्यक्ष पद की माला कांग्रेस नेतृत्व द्वारा डाली जा सकती है और अल्पसख्यक समाज की पुरानी मांग समाप्त की जा सकती है।
दूसरी तरफ पालघर जिला यह आदिवासी बहुल्य क्षेत्र होने के कारण पालघर जिले में आदिवासी समाज के हित में *पेसा* कायदा भी लागू है । इसलिए यदि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने आदिवासी समाज का जिला अध्यक्ष बनाना जरुरी समझा तो इसके लिए वर्तमान जिला कांग्रेस कमेटी के (1) मधुकर चौधरी(कार्याध्यक्ष) तथा(2)आदिवासी समाज के उभरते हुए नेतृत्व बलवंत गावित का नाम अग्रिम पंक्ति में चलता दिखाई दे रहा है। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद की माला किसके गले में पड़ेगी यह चर्चा कांग्रेस जनों में जोरों पर है। ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस की सत्ता होने या नहीं होने पर भी मुस्लिम तथा आदिवासी समाज हमेशा से कांग्रेस के साथ पूरी निष्ठा के साथ खड़ा रहा है और उनकी यह निष्ठा अनेकों बार चुनावों में देखने को भी मिली है। कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं का यह भी मानना है कि कांग्रेस कभी भी जातिपाती की राजनीति नहीं करती और लंबे समय तक किसी जाति की अनदेखी करके उस समाज पर अन्याय भी नहीं करती इसलिए मुस्लिम व आदिवासी समाज की अध्यक्ष पद की पुरानी मांग को कांग्रेस नेतृत्व किस प्रकार से हल करता है इस पर ही पालघर कांग्रेस के भविष्य का गणित निर्भर है ।
ज्ञात हो कि पालघर जिला कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष केदार काले एक वर्ष पहले कांग्रेस से राजीनामा देकर शिवसेना में शामिल हो गये थे, इसलिए कांग्रेस नेतृत्व ने पालघर जिले में पार्टी का जनाधार बढ़ाने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर जिला अध्यक्ष के पद पर दिवाकर काशीनाथ पाटील की नियुक्ति की थी। अध्यक्ष बनने कुछ समय बाद ही पालघर जिला परिषद तथा पंचायत समितियों के चुनाव सम्पन्न हुए। प्रतिष्ठा के इन चुनावों में उचित नियोजन के अभाव के कारण इन जिला परिषद व पंचायत समितियों के चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ने के बजाय केवल वह एक सीट पर ही सिमट कर रह गई । उतना ही नही बल्कि पिछले एक वर्ष से नवनियुक्त जिला अध्यक्ष दिवाकर पाटील के नेतृत्व में वरिष्ठ नेताओं के विश्वास के अनुसार कांग्रेस पार्टी को जितनी प्रगति करने की उम्मीद थी उसमे दिवाकर पाटील उतने सफल नहीं हो सके। दूसरी तरफ गांव गांव में जाकर नये तथा पुराने कार्यकर्ताओं से मिलकर कांग्रेस पार्टी को बढ़ाने की उम्मीद वरिष्ठ नेताओं द्वारा की जा रही थी वह भी धरी की धरी रह गई। कई कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि पूरे पालघर जिले का अबतक वर्तमान जिला अध्यक्ष दिवाकर पाटिल ने अपनी जिला कमेटी तथा पार्टी के अन्य फ्रंटल ऑर्गेनाजेशन के नेताओ के साथ नियोजनबद्ध तरीके से अभी तक दौरा भी नहीं किया है, और ना ही उन्होंने कार्यकर्ताओं की समस्याओं के समाधान हेतु कोई गंभीरता दिखाई है।तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व को पार्टी के लिये अपेक्षित सकारात्मक रिजल्ट नहीं लाने के कारण वर्तमान जिला अध्यक्ष दिवाकर पाटील की कार्यशैली पर नाराजगी दिखाई देने लगी है ।इसीलिए अब कांग्रेस के जिला अध्यक्ष को बदलने के संकेत स्पष्ट दीखने लगे हैं और किसी निष्ठावान व सक्रिय नए जिला अध्यक्ष की खोज भी की जाने लगी है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि यही ठीक समय है जब कांग्रेस व कांग्रेस नेतृत्व के प्रति सच्ची निष्ठा रखने वाले,सभी को साथ लेकर चलने वाले और प्रामाणिक काम करने वाले किसी उचित पदाधिकारी को जिला अध्यक्ष के पद की जवाबदारी देकर अभी से 2024 की चुनाव की तैयारी करके कांग्रेस को पालघर जिला में और आगे बढ़ाया जा सकता है। और ऐसी हैंआशा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही है।प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पालघर जिला में कांग्रेस के उज्वल भविष्य को ध्यान में रखते हुए क्या कदम उठाता है इस ओर सभी की नजरें लगी हुई हैं। जानकारों का मानना है कि कोरोना के इस काल मे बदलाव मे थोड़ी देरी करना अब कांग्रेस के लिये और भी घातक हो सकती है इसलिए कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व अब ज्यादा रिश्क नही लेगा और जल्दी ही नया जिला अध्यक्ष नियुक्त किये जाने की उम्मीद की जा रही है।
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